हाशिए पार ज़िंदगी...
हाशिए पार ज़िंदगी...
मैं हमेशा से तुम्हारी ज़िन्दगी की किताब के हाशिए से बाहर ही रहा ।
मैं रेखा के उस पार बैठा देखता रहता तुम्हारे जीवन में घट रही घटनाओं को,
और सोचता की मैं कभी तो तुम्हारे जीवन की इस कहानी का हिस्सा बनूंगा।
मगर मैंने जब भी तुम्हारी कहानी का हिस्सा होने की कोशिश की तुमने ला पटका मुझे फिर वही मेरे स्थान पर।
मैं हमेशा से तुम्हारी ज़िन्दगी की किताब के हाशिए से बाहर ही रहा.........
-तुम्हारा "स्पर्श"... 🍂
#meri_khani_wala

Ahaaannnn
ReplyDeleteशुक्रिया सरकार 💙
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